26/11 हमला: तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए चली नई चाल

26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में तहव्वुर राणा की नई याचिका, भारत प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर की नई याचिका

26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए एक नई चाल चली है। उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह दावा किया है कि भारत में उसे प्रताड़ित किया जाएगा और उसके बचने की संभावना बेहद कम है।

तहव्वुर राणा का नया दावा

  • तहव्वुर राणा ने कहा कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो उसे यातना दी जाएगी।
  • उसने अपनी याचिका में कहा कि अगर समय रहते प्रत्यर्पण पर रोक नहीं लगी, तो यह मामला अमेरिकी अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाएगा।
  • इससे पहले, 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

डोनाल्ड ट्रंप ने किया था प्रत्यर्पण का एलान

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की घोषणा की थी। ट्रंप ने कहा था कि वे भारत को तुरंत राणा सौंपने के लिए तैयार हैं। इसके बाद से तहव्वुर राणा कानूनी लड़ाई में जुटा हुआ है।

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का नागरिक है लेकिन उसके पास कनाडा की नागरिकता है। वह मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का सहयोगी था। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने 2009 में उसे गिरफ्तार किया था।

26/11 मुंबई हमला: एक भयानक आतंकवादी घटना

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को दहला दिया था। इस हमले में 166 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। हमले के दौरान ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और CST रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया गया था।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत प्रत्यर्पण मामले में अमेरिका के सहयोग की उम्मीद करता है। भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करें


निष्कर्ष

तहव्वुर राणा 26/11 मुंबई हमले का अहम आरोपी है और अब वह कानूनी दांव-पेंच के जरिए भारत प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अमेरिकी अदालत का फैसला भारत सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। देखना यह होगा कि क्या भारत अपने सबसे बड़े आतंकी मामलों में से एक में न्याय हासिल कर पाएगा या नहीं


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